GEETA AMRIT
न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो- यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः । यानेव हत्वा न जिजीविषाम- स्तेऽवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ॥
भावार्थ
: हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिए युद्ध करना और न करना- इन दोनों में
से कौन-सा श्रेष्ठ है, अथवा यह भी नहीं जानते कि उन्हें हम जीतेंगे या हमको
वे जीतेंगे। और जिनको मारकर हम जीना भी नहीं चाहते, वे ही हमारे आत्मीय
धृतराष्ट्र के पुत्र हमारे मुकाबले में खड़े हैं॥6॥
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