GEETA AMRIT
जातस्त हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च । तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ॥
भावार्थ
: क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे
हुए का जन्म निश्चित है। इससे भी इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने
योग्य नहीं है॥27॥
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