GEETA AMRIT
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम् । उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥
भावार्थ
: जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों
ही नहीं जानते क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न
किसी द्वारा मारा जाता है॥19॥
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