GEETA AMRIT
न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः । अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो- न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
भावार्थ
: यह आत्मा किसी काल में भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह
उत्पन्न होकर फिर होने वाला ही है क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और
पुरातन है, शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता॥20॥
No comments:
Post a Comment